है दक्षकन्या,वो शाम्भवी, है ब्राह्मी,है वो भाविनी यति-सती,है आग वही, तो ममता वही,है माँ वही हर नारी में विराज वही, माँ,बेटी,बहन है लाज़ वही न छेड़ो उसे,वो जाग गयी, करली बन जाए काल वही वो,दुर्गा लक्ष्मी,रौद्रा,भव्या बहुला ज्ञाना पार्वती हे रत्नप्रिया सर्वविद्या!कल्याणम जगद ब्रह्मवादिनी तो,प्रणाम है हर एक नारी को,तुमसे ही है ब्रह्मांड बसी तुमसे ही है ब्रम्हांड बसी
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